चुनाव आचार संहिता क्या है,आचार संहिता के नियम कानून,आदर्श आचार संहिता क्या है ? स्पष्ट कीजिए,आदर्श चुनाव संहिता क्या है इसके मुख्य प्रावधान क्या है,आचार संहिता चुनाव के कितने दिन पहले लगती है,आचार संहिता - विकिपीडिया,आचार संहिता की परिभाषा,आचार संहिता कब लगती है,आचार संहिता का अर्थ क्या होता है,आचार संहिता चुनाव के कितने दिन पहले लगती है,आदर्श आचार संहिता क्या है,आदर्श आचार संहिता क्या है ? स्पष्ट कीजिए,आचार संहिता की परिभाषा,आचार संहिता की अवधि कितनी होती है,आचार संहिता - विकिपीडिया,आदर्श आचार संहिता नियमावली,आचार संहिता नियमावली pdf,आचार संहिता के नियम कानून,आचार संहिता चुनाव से कितने दिन पहले लगती है,आचार संहिता की परिभाषा,आदर्श आचार संहिता में शामिल है,आदर्श आचार संहिता नियमावली pdf,आचार संहिता का अर्थ,आचार संहिता की अवधि कितनी होती है,आचार संहिता - विकिपीडिया

चुनाव आचार संहिता क्या होती है?

चुनाव की तारीखों का एलान होते ही आचार संहिता लागू हो जाती है. क्या आप जानते हैं चुनाव आचार संहिता क्या है? चुनाव आचार संहिता क्यों लागू होती है? आचार संहिता कब से कब तक लगी रहेगी? आइए इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं:

चुनाव आचार संहिता क्या होती है?

देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम बनाता है. चुनाव आयोग के इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं. लोकसभा/विधानसभा चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है.

चुनाव आचार संहिता क्या है? आदर्श आचार संहिता क्यों और कैसे लागू की जाती है? (What is Model Code of Conduct or Aadarsh Aachar Sanhita in Hindi)

भारत में या किसी भी देश में जब चुनाव होते हैं, तो उस दौरान कुछ नियम लागू किये जाते हैं. जिसका पालन देश में मौजूद सभी राजनीतिक पार्टियों, उम्मीदवारों एवं अन्य लोगों को करना ही पड़ता है. ऐसे नियमों को लागू करके ही देश में चुनाव सही तरीके से हो पाते हैं. ऐसे ही एक नियम के बारे में यहाँ जानकारी दी जा रही है, जिसका नाम है चुनाव आचार संहिता या आदर्श आचार संहिता. आइये जानते हैं कि आचार संहिता क्या है और इसे कब, किसके द्वारा और कैसे लागू किया जाता है.

कब तक लगी रहेगी आचार संहिता?

कब तक लगी रहेगी आचार संहिता? आचार संहिता चुनाव प्रक्रिया के संपन्न होने तक लागू रहती है. चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही आचार संहिता देश में लगती है और वोटों की गिनती होने तक जारी रहती है.

क्या होती है आचार संहिता?

आचार संहिता लगते ही चुनाव प्रक्रिया से संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के स्थानांतरण, प्रमोशन आदि पर भी रोक लग जाती है. पंचायतों से संबंधित नए विकास कार्यों, योजनाओं की शुरुआत भी इस दरम्यान नहीं हो होते हैं. हालांकि चुनावी घोषणा से पहले जितने तबादले, नए कार्य के फैसले ले लिए जाते हैं, उन पर इसका असर नहीं पड़ता है. आचार इसलिए लिए लगाई जाती है ताकि कोई व्यक्ति धन, बल के आधार लोगों को प्रभावित न किया जा सके. यूपी पंचायत चुनाव 2021 के मद्देनजर 2 मई तक आचार संहिता लागू रहेगी.

आदर्श आचार संहिता की आवश्यकता क्यों पड़ी?

एक ज़माना था, जब चुनावों के दौरान दीवारें पोस्टरों से पट जाया करती थीं। लाउडस्पीकर्स का कानफोडू शोर थमने का नाम ही नहीं लेता था। दबंग उम्मीदवार धन-बल के ज़ोर पर चुनाव जीतने के लिये कुछ भी करने को तैयार रहते थे। चुनावी वैतरणी पार करने के लिये साम, दाम, दंड, भेद का सहारा खुलकर लिया जाता था। बूथ कैप्चरिंग करने और बैलट बॉक्स लूट लेने जैसी घटनाएँ भी आम थीं। सैकड़ों की संख्या में लोग चुनावी हिंसा के दौरान हताहत होते थे। तब चुनावों में शराब और रुपए बाँटने का खुला खेल चलता था। ऐसे हालातों में आदर्श आचार संहिता रामबाण तो नहीं, लेकिन आशा की किरण बनकर ज़रूर सामने आई।

अब कहीं पर भी चुनाव होने पर आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है और इसका सबसे बड़ा मकसद चुनावों को पारदर्शी तरीके से संपन्न कराना होता है।

इसके अलावा समय से पहले विधानसभा का विघटन हो जाने पर भी आदर्श आचार संहिता में प्रावधान किये गए हैं। इनके तहत कामचलाऊ राज्य सरकार और केंद्र सरकार राज्य के संबंध में किसी नई योजना या परियोजना का ऐलान नहीं कर सकती है।

चुनाव आयोग को यह अधिकार सर्वोच्च न्यायालय के एस.आर. बोम्मई मामले में दिये गए ऐतिहासिक फैसले से मिला है। 1994 में आए इस फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि कामचलाऊ सरकार को केवल रोज़ाना का काम करना चाहिये और कोई भी बड़ा नीतिगत निर्णय लेने से बचना चाहिये।

आचार संहिता के उल्लंघन पर चुनाव आयोग क्या कर सकता है?

यदि कोई प्रत्याशी या राजनीतिक दल आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो चुनाव आयोग नियमानुसार कार्रवाई कर सकता है. उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है. ज़रूरी होने पर आपराधिक मुक़दमा भी दर्ज कराया जा सकता है. लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Election) की घोषणा के साथ ही मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (आदर्श आचार संहिता) लागू हो गया है. इसके तहत अब राजनीतिक दलों के होर्डिंग, बैनर और पोस्टर उतारे जा रहे हैं. सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार से संबंधित सामग्री भी हटाई जा रही है. आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत चुनाव आयोग के हेल्पलाइन नंबर 1095 पर की जा सकती है. चुनाव आयोग का दावा है कि शिकायत करने के 100 मिनट के भीतर इस पर कार्रवाई की जाएगी. Lok Sabha Election में आदर्श आचार संहिता को लेकर लोगों में कई तक

आदर्श आचार संहिता कब पेश किया गया था ?

इसे चुनाव आयोग द्वारा कई सालों से लागू किया जा रहा है, इसकी शुरुआत की बात सन 1960 में केरल में हुए विधान सभा चुनाव के दौरान की गई थी और इसी चुनाव में इसे पहली बार उपयोग भी किया गया था. यह चुनावी सभाओं, भाषणों, नारों आदि के संबंध में राजनीतिक पार्टियों को निर्देश देने के लिए बनाया गया था. फिर सन 1962 में लोकसभा के आम चुनावों में आचार संहिता को मान्यता प्राप्त पार्टियों और राज्य सरकारों से प्रतिक्रिया मांगने के बाद उनके लिए लागू किया गया था. सन 1962 के चुनावों में इसके लिए बड़े पैमाने पर सभी पार्टियों द्वारा सहमति दिखाई गई, और फिर बाद के हर चुनावों में इसे लागू किया लगा. फिर सन 1979 में चुनाव आयोग ने इसमें कुछ संशोधन किया, उन्होंने इसमें सत्ता में जो पार्टी थी, उसे नियमित करने और चुनाव के समय अनुचित लाभ प्राप्त करने से रोकने के लिए एक सेक्शन जोड़ा था. सन 2013 में सुप्रीमकोर्ट ने चुनाव आयोग को चुनाव घोषणापत्र के बारे में दिशानिर्देशों को शामिल करने का निर्देश दिया, जिसे उन्हें सन 2014 के आम चुनावों के लिए आचार संहिता में शामिल करने के लिए कहा गया था.

आचार संहिता को क्यों और कैसे लागू किया जाता है ?

जैसा कि पहले ही बताया गया है, कि इसे कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी गई है. तो फिर बात आती है, कि यह क्यों और कैसे लागू होता है. आपको बता दें, कि हमारे भारत देश के संविधान के ‘आर्टिकल 324’ के तहत चुनाव आयोग को कुछ अधिकार दिए जाते हैं, ताकि वे देश में केंद्र या राज्य दोनों स्तर पर राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव आयोजित कर सकें. इसके अलावा उन्हें ‘रिप्रजेंटेशन ऑफ़ द पीपल एक्ट’ के तहत भी कुछ अधिकार दिए गये हैं. दरअसल चुनाव को निष्पक्ष तरीके से आयोजित करने के लिए चुनाव आयोग के पास कुछ शक्ति होना जरूरी थी. इसलिए सभी पार्टियों के साथ – साथ चुनाव आयोग ने मिलकर कुछ नियम निर्धारित किये. जिसे आचार संहिता नाम दिया गया. इसमें यदि कोई राजनीतिक पार्टी द्वारा विभिन्न जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषाओं के बीच आपसी विरोध पैदा होता है या दंगे जैसी गतिविधियां होती है, तो उनके खिलाफ कार्यवाही करने का अधिकार भी चुनाव आयोग को मिल जाता है. इसलिए एवं इस तरह से आचार संहिता लागू की जाती है.

आचार संहिता के संबंध में बदलाव की सिफारिशें

सन 2015 में, कानून आयोग ने चुनावी सुधारों पर अपनी रिपोर्ट में कहा, कि आचार संहिता चुनाव अवधि के दौरान समाचार पत्रों या मीडिया में सार्वजनिक खजाने की कीमत पर विज्ञापन जारी करने पर रोक लगाता है. किन्तु आचार संहिता चुनाव की घोषणा करने की तारीख से ही लागू होता है, इसलिए सरकार चुनावों की घोषणा से पहले विज्ञापन जारी कर सकती है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया, कि इससे सत्तारूढ़ पार्टी को उनकी उपलब्धियों को हाईलाइट करने के लिए सरकारी स्पॉन्सर्ड विज्ञापन जारी करने का लाभ मिलता है, जबकि अन्य पार्टियों और उम्मीदवारों को इसका लाभ उचित रूप में नहीं मिलता है. इसलिए आयोग ने सिफारिश की कि सदन / विधानसभा की समाप्ति की तारीख से 6 महीने पहले से सरकार द्वारा स्पॉन्सर्ड विज्ञापनों पर प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए. हालाँकि यह भी कहा गया, कि सरकार के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों या किसी भी स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं को हाईलाइट करने वाले विज्ञापनों के लिए यह लागू होना आवश्यक नहीं है.

Need help? Call our award-winning support team 24/7 at 919971509175