कक्षा 10वीं के बाद क्या करें? जानें एक्सपर्ट्स से What should I do after 10th and 12th?
स्टूडेंट्स और उनके पैरंट्स की जिंदगी में 10वीं और 12वीं दो अहम पड़ाव होते हैं। इन दो पड़ावों के पार करियर को लेकर तमाम तरह के भ्रम और सवाल उनके दिमाग में होते हैं।
बोर्ड परीक्षाओं का दौर खत्म होने वाला है और इसी के साथ करियर को सही दिशा देने का वक्त भी शुरू हो चुका है। स्टूडेंट्स और उनके पैरंट्स की जिंदगी में 10वीं और 12वीं दो अहम पड़ाव होते हैं। इन दो पड़ावों के पार करियर को लेकर तमाम तरह के भ्रम और सवाल उनके दिमाग में होते हैं। इन्हीं के जवाब एक्सपर्ट्स से बात कर दे रहे हैं लोकेश के. भारती...
नारायण को 12वीं में 98 फीसदी अंक आए थे। बचपन से ही वह पढ़ने में तेज थे। पापा आईएएस ऑफिसर हैं। इसलिए पैसे की भी कोई समस्या नहीं। पैरंट्स का कोई दबाव नहीं था कि क्या बनना है, लेकिन यह चाहत जरूर थी कि बेटा इंजिनियर या फिर विदेश में किसी बड़े कॉलेज से अच्छी डिग्री ले। 12वीं में शानदार परफॉर्मेंस के बाद नारायण का ऐडमिशन भी दुनिया के टॉप स्कूलों में से एक 'ब्रिटिश कोलंबिया' के साइंस विंग में हो गया, लेकिन नारायण को मजा नहीं आ रहा था। पापा से बात करने पर यह निर्णय लिया गया कि एक अच्छे करियर काउंसलर से मिला जाए। अपॉइंटमेंट मिलने के बाद काउंसलिंग हुई तो नतीजा कुछ और निकला। दरअसल, नारायण को फुटबॉल खेलने में मजा आता था। 10वीं तक उसने स्कूल की तरफ से स्टेट लेवल का मैच खेला था, लेकिन 11वीं से पैरंट्स, टीचर्स और खुद नारायण को लगा कि पढ़ाई में भी परफॉर्मेंस बेहतर है तो पढ़ाई-लिखाई ही की जाए। ऐसे में फुटबॉल में आगे बढ़ने की सोच को रिवर्स किक लग गई। काउंसलर ने जब नारायण के इस पसंद के बारे में पैरंट्स को बताया तो वह चौंक गए, लेकिन फौरन मान भी गए। नारायण को बेहतर ट्रेनिंग के लिए फुटबॉल के एक इलिट क्लब में ऐडमिशन कराया गया। अभी नारायण वालेंसिया (स्पेन) की तरफ से मैच खेलते हैं। कमाई अभी बहुत ज्यादा नहीं, फिर भी साल के 3 से 4 करोड़ रुपये तो हैं ही।
10वीं में साइंस में 90 फीसदी से ज्यादा नंबर मिले हैं तो आगे साइंस ही पढ़नी चाहिए।
सही क्या: ऐसा बिलकुल भी नहीं है। किसी विषय में शानदार अंक पाना और उस विषय में करियर बनाना, दोनों अलग-अलग बातें हैं। करियर बनाने का सीधा-सा मतलब है कि स्टूडेंट को उस खास विषय में 12वीं, ग्रैजुएशन या पोस्ट ग्रैजुएशन भी करना है। चूंकि 12वीं से सिलेबस अचानक बहुत बड़ा हो जाता है। इसलिए 10वीं में नंबर लाना और इसके बाद भी अच्छा परफॉर्मेंस करना दोनों में काफी अंतर होता है। ऐसा देखा गया है कि 100 में 20 से 30 बच्चे जिनके 10वीं में 90 फीसदी से भी ज्यादा अंक आए थे, 12वीं में वे 50 से 60 फीसदी के लिए भी तरसते हैं।
मेरे दोस्त यही पढ़ रहे हैं इसलिए मैं भी यही पढूंगा।
सही क्या: अगर 100 बच्चों की बात करें तो इस तरह की गलती करने वाले कम से कम 15 से 20 बच्चे जरूर मिलेंगे। दोस्तों को देखकर या दोस्ती न टूटे इसलिए या फिर अगर कोई बच्चा तेज है तो उससे नोट्स या दूसरी मदद मिलती रहेगी, इन चक्करों में बच्चे गलत चुनाव कर लेते हैं। अब स्थिति ऐसी बनती है कि बच्चे की दिलचस्पी है ह्यूमेनिटीज में, लेकिन दोस्त की वजह से वह चुन लेता है साइंस या कॉमर्स। अब पढ़ाई में मन लगेगा कहां से! ऐसे में हायर स्टडीज में जाते ही सब्जेक्ट बदलने की नौबत बन जाती है। ऐसे में जिस बच्चे के 10वीं बोर्ड में 80 फीसदी अंक आए थे, वह 12वीं में 60 फीसदी के लिए तरसता है। तो बेहतर रहेगा कि जिसमें दिल लगे उसे ही चुनें।
यह गलती काफी पैरंट्स करते हैं। वे अपनी सोच, चाहत और नाकामियों की पूर्ति बच्चों से करवाना चाहते हैं। इस तरह की सोच बिलकुल गलत है। हर बच्चे की अपनी काबिलियत और चाहत होती है। हर कोई डॉक्टर या इंजिनियर नहीं बन सकता। आज तो 3000 से भी ज्यादा करियर ऑप्शंस हैं।
आर्थिक स्थिति कोई मुद्दा नहीं है
अक्सर बच्चे या पैरंट्स दूसरों की देखादेखी विदेश में पढ़ाई का फैसला लेते हैं। करियर के बारे में सोचते हुए अपनी फैमिली की आर्थिक स्थिति को भी ध्यान में रखना जरूरी है। पढ़ाई में पैसा बेहद अहम रोल अदा करता है। जब आप स्कूल में पढ़ते हैं तो कई तरह के स्टूडेंट्स से आपकी दोस्ती होती है। इनमें से किसी की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है तो किसी की उतनी बेहतर नहीं होती। ऐसे में किसी दूसरे को देखकर अपने करियर की प्लानिंग न करें। अगर घर की आर्थिक सेहत अच्छी नहीं है तो आप महंगे कोर्स के बारे में सोच नहीं सकते। हां, स्कॉलरशिप या लोन के बल पर इनके बारे में आप सोच सकते हैं, लेकिन सौ फीसदी आश्वस्त नहीं हो सकते कि कर ही लेंगे। विदेश में पढ़ने की दो वजह होनी चाहिए। पहला यह कि वहीं बसना है, दूसरा यह कि जो कोर्स आप विदेश जाकर करना चाहते हैं वह देश में उपलब्ध नहीं है।
मैं तो आईएएस के लिए ही बना हूं।
परिनय अक्सर अपने दोस्तों और रिश्तेदार से कह देते थे कि मैं तो सिर्फ आईएएस के लिए बना हूं। दरअसल, उसका एक जानने वाला आईएएस अफसर था। पैरंट्स 10वीं की रिजल्ट के बाद उसे एक करियर काउंसलर के पास ले गए। 10वीं में राकेश को 70 फीसदी अंक आए थे। जब काउंसलर ने राकेश से पूछा कि तुम क्यों आईएएस बनना चाहते हो तो उसने बताया कि आईएएस को मिलने वाली लाल बत्ती से प्रभावित हूं। काउसंलर ने कहा सिर्फ लाल बत्ती को देखकर आईएएस नहीं बना जा सकता। आईएएस की बहुत जिम्मेदारी होती है। जब राकेश से पूछा गया कि तुम्हें पता है कि आईएएस बनने के लिए धैर्य, विश्लेष्णात्मक क्षमता की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। क्या तुम्हारी दिलचस्पी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं में है। साथ ही हर साल यूपीएससी और स्टेट सिविल एग्जाम्स में 10 लाख से ज्यादा स्टूडेंट बैठते हैं। पूरी तैयारी में 3 से 4 साल या फिर इससे भी ज्यादा वक्त लग सकता है। यह सब सुनने के बाद राकेश ने पहले 12वीं को फोकस करने का मन बनाया।
बच्चे का रुझान और काबिलियत जाननी है तो कराएं सायकोमीट्रिक टेस्ट
इस टेस्ट से बच्चे के रुझान और काबिलियत की जानकारी मिलती है। इसमें ऐप्टिट्यूड टेस्ट और करियर इंटरेस्ट जैसे कई टेस्ट होते हैं। ऐप्टिट्यूड टेस्ट जहां स्टूडेंट की पूरी पर्सनैलिटी के लिए होता है वहीं करियर इंटरेस्ट टेस्ट सब्जेक्ट या करियर चुनने में मददगार होता है। ये टेस्ट किसी काम को करने की स्टूडेंट की काबिलियत के बारे में आइडिया देते हैं। मसलन अगर कोई बच्चा इंजिनियर बनना चाहता है तो क्या वह इस लायक है? यही नहीं, इंजिनियरिंग में किस ट्रेड में वह बेहतर परफॉर्म कर सकता है, इसकी भी जानकारी टेस्ट से मिल जाती है। इस टेस्ट के जरिए कोई एक करियर नहीं बल्कि कई करियर ऑप्शंस की सलाह दी जाती है। इस टेस्ट में 300-400 सवाल होते हैं जिनके जवाब 'हां' या 'ना' में देने होते हैं। हालांकि ध्यान रखें कि ये टेस्ट किसी अच्छे साइकॉलजिस्ट या करियर काउंसलर से ही कराएं। साथ ही, यह जानना भी जरूरी है कि वही टेस्ट भरोसेमंद हैं जिन्हें इंडियन स्टूडेंट्स के मुताबिक तैयार किया गया हो। आमतौर पर ये टेस्ट महंगे नहीं होते।
करियर या सब्जेक्ट चुनने से पहले खुद से पूछें इनका जवाब
1. कौन-सा सब्जेक्ट पढ़ने में मजा आता है?
2. किस सब्जेक्ट में सबसे ज्यादा नंबर आते हैं?
3. जिंदगी में क्या बनना चाहता है और क्यों?
4. जिस करियर को चुनना चाहता है, उसे 20-25 साल तक करने को तैयार हो या नहीं?
5. बाहर जाकर काम करना पसंद है या फिर ऑफिस के अंदर बैठ कर?
6. लोगों से मिलना पसंद है या फिर ज्यादा-से-ज्यादा किताबी नॉलेज हासिल करना?
7. बिजनेस से जुड़ी बुक्स पढ़ना अच्छा लगता है या आर्ट्स के बारे में पढ़ना?
8. खूब बातें करना पसंद है या चुपचाप रहना?
9. ज्यादा मेहनत वाला काम करना चाहते हैं या कम मेहनत वाला?
10. ट्रैवल करना पसंद है या एक ही जगह पर रहना?
Note :- एक गलत फैसला लेने से अच्छा है फैसला लेने में देरी करना। 10वीं के बाद आपकी स्ट्रीम क्या होगी इसे लेकर आप तो सोच ही रहे होंगे, आपके पैरंट्स भी चिंतित होंगे। इसलिए आखिरी फैसले पर पहुंचने से पहले एक बार नहीं, सौ बार सोचें। किसी जानकार या करियर काउंसलर की मदद भी लें।
1. बच्चा क्या चाहता है?
इस बात को सबसे ज्यादा अहमियत दें। सच तो यह है कि आज के बच्चों को इंटरनेट, टीचर्स और दोस्तों के माध्यम से करियर के बारे में कई ऐसी बातें पता होती हैं जिन्हें उनके पैरंट्स भी नहीं जानते।
2. स्कूल टीचर की क्या है राय?
अमूमन एक बच्चा 8 से 10 साल तक किसी स्कूल में पढ़ता है। ऐसे में वहां के टीचर्स को उस बच्चे के बारे में काफी कुछ पता होता है। बच्चे की कमियां, मजबूती, पसंद और नापसंद के बारे में वे खूब जानते हैं। ऐसे में टीचर्स की राय बहुत अहम होती है।
10वीं के मार्क्स ही सब कुछ नहीं
अगर 10वीं के अंकों को आधार बनाकर ही सब्जेक्ट का चुनाव करना चाहते हैं तो यह देखना जरूरी होगा कि इन सब्जेक्ट्स में क्या पहले (क्लास 7, 8, 9 में) अच्छे अंक आए हैं। अगर नहीं आए हैं तो सिर्फ 10वीं के अंकों को आधार बनाकर सब्जेक्ट का चुनाव करना सही नहीं है।
10वीं के बाद क्या हैं ऑप्शन
1. 11-12वीं
साइंस: PCM (फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स), PCB(फिजिक्स, केमिस्ट्री, बयॉलजी), LIBRARY SCIENCE
कॉमर्स: CEC
आर्ट्स: MEC, HEC
2. पॉलिटेक्निक
3. आईटीआई
4. पैरामेडिकल
5. शॉर्ट टर्म कोर्सेस: DTP, TALLY etc.
6. अन्य: ब्यूटी एंड कॉस्मेटॉलजी, जूलरी डिजाइनिंग आदि।
12वीं के बाद बदल लें सब्जेक्ट
11वीं में कुछ ही समय बिताने के बाद पता चलने लगता है कि सब्जेक्ट्स का चयन सही रहा या नहीं और यह भी कि इससे जुड़ा करियर कैसा रहेगा। अगर चुनाव सही हुआ है तो नंबर भी अच्छे आएंगे और मन भी लगेगा। अगर चुनाव गलत रहा तो किताब देखने के बाद यही लगेगा कि आखिर यह विषय चुना ही क्यों! खैर, जब मन परेशान हो जाए तो ऐसा बिलकुल न सोचें कि ऑप्शन खत्म हो गए। आप 12वीं के बाद भी सब्जेक्ट बदल सकते हैं। गलती जब पता चल जाए, तभी सही कर लें।
12वीं के बाद क्या हैं विकल्प
1. इंजिनियरिंग (BE/BTECH)
योग्यता: PCM
इंजिनियरिंग में करियर बनाने के लिए तमाम एंट्रेंस टेस्ट पास करना होता है। एडमिशन मिलने के बाद पढ़ाई अमूमन 4 बरसों की होती है।
ब्रांचेज: आईटी, ईसीई, सिविल इंजिनियरिंग, मकैनिकल, केमिकल, ऐग्रिकल्चर, बॉयोमेडिकल।
नोट: एयरोनॉटिकल, सेरामिक, एन्वॉयरनमेंटल, मरीन, माइनिंग, सिल्क एंड टेक्सटाइल में भीड़ अब भी कम है, लेकिन इनकी डिमांड ज्यादा है। (अलग अलग टेस्ट की जानकारी दे सकते हैं)
जरूरी लिंक:
JEE Main- www.jeemain.nic.in
JEE Advanced- www.jeeadv.iitd.ac.in
BITSAT- www.bitsadmission.com
VITEEE- www.vit.ac.in
2. मेडिकल: इसमें कई फील्ड हैं जैसे मेडिसिन, अलाइड हेल्थ साइंस, पैरामेडिकल।
योग्यता: BIPC/PCB (फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायॉलजी)
मेडिसिन में करियर बनाने के लिए एंट्रेंस टेस्ट (EAMCET, NEET) पास करना होता है। इसकी पढ़ाई अमूमन 5 वर्षों की होती है।
ब्रांचेज:
MBBS: एलोपैथिक
BAMS: आयुर्वेदिक
BUMS: यूनानी
BHMS: होम्योपैथी
BNYS: नेचुरोपैथी
BDS: डेंटल
Ag. BSc: एग्रिकल्चर
BVsc.: वेटरनरी
BPT: फिजियोथेरपी
नोट: एलोपैथ में एमबीबीएस करना मुश्किल है, लेकिन बाकी फील्ड में भीड़ कम है। फिर इनमें मौके ज्यादा और पढ़ाई के खर्चे कम हैं।